Tuesday, May 25, 2021

वर्ण विचार

 

वर्ण विचार 












यद्यपि आप सब संस्कृत वर्णो से अवगत है किंतु फिर भी एक बार परिचय के लिए आप उन्हें ऊपर दी गई फ़ोटो में अवश्य देखें। 


१ पाणिनि ने इन्ही अक्षरो को इस क्रम मे 

बाँधा है। अइउण, ऋलुक्, एओङ , ऐऔच् , हयवरट् , लण् , अमङणनम् , झमञ् , पढयष् , जबगडदश् , खफछठथचटतव् , कपय्, शषसर् , हल् ।


ये चौदह सूत्र माहेश्वर कहलाते हैं , क्योकि पाणिनि को महेश्वर की कृपा से प्राप्त हुए थे, ऐसा सम्प्रदाय है । इनको प्रत्याहार सूत्र भी कहते हैं , क्योकि इनके द्वारा सरलता से और सूक्ष्म रीति से अक्षरो का बोध हो जाता है । ऊपर के जो अक्षर हल् हैं इत् कहलाते हैं , जैसे ण, क् आदि । इनके द्वारा प्रत्याहार बनते हैं । पूर्व के किसी सूत्र का कोई वर्ण लेकर उसको यदि आगे की किसी इत् के पूर्व जोड दें तो प्रत्याहार बनेगा वह उस पूर्व वर्ण का तथा उसके और इत् के बीच के सभी वर्गों का ( बीच मे पडने वाले इतो को छाडकर ) बोषक होगा, ( आदिरन्त्येन सहेता १ । १। ७१ ) यथा  - अक् अ इ उ ऋ लृ का 

शल् श ष स ह।


 यद्यपि प्रत्याहार की इस विधि द्वारा इनकी संख्या सहस्त्रों हो सकती है किंतु प्रत्याहार ४३ ही है।



स्वर का अर्थ है , ऐसा वर्ण जिसका उच्चारण अपने आप हो सके , जिसको दूसरे वर्ण से मिलने की अपेक्षा न हो । ऐसे वर्ण जिनका बिना किसी दूसरे वर्ण ( अर्थात् स्वर ) से मिले हुए उच्चारण नही हो सकता , व्यजन कहलाते हैं ।


 हमारे वर्गों के स्थान इस प्रकार है -


१. अ , आ , विसर्ग , क , ख , ग , घ , ड,- कण्ठ

२.  इ , ई , य , च , छ , ज , झ , ञ , श - तालु 

३. ऋ , ऋ , र , ट , ठ , ड , ढ , ण , ष- मूर्धा

४. लु , ल ल , त , थ , द , ध , न , स - दन्त

५. उ , ऊ , उपध्मानीय , प , फ , ब , भ , म - ओष्ठ


स्वरो का दूसरा नाम अच् भी है, क्योकि पाणिनि के क्रमानुसार स्वरवाची प्रत्याहार सूत्र सब इसके अन्तर्गत आ जाते है । ( प्रथम सूत्र का प्रथम अक्षर अ और चतुर्थ सूत्र का अन्तिम अक्षर च् ) । इसी प्रकार व्यजन का दूसरा नाम हल भी है , क्योकि व्यजनवाची प्रत्याहार सूत्र सब ( ५ से १४ तक ) इसके अन्तर्गत आ जाते है ।

स्वर तीन प्रकार के होते हैं - ह्रस्व, दीर्घ ( सादे और मिश्रविकृत ) और प्लुप्त।


विसर्ग को वस्तुत एक छोटा ह समझना चाहिए । यह सदा किसी स्वर के अन्त में आता है । यह स् अथवा र का एक रूपान्तर मात्र है , किन्तु उच्चारण की विशेषता के कारण इसका व्यक्तित्व अलग है । यह जिस स्वर के पश्चात् जुटा होगा उसी के उच्चारण - स्थान से उच्चरित होगा ।




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