१. वर्ण विचार
'व्याकरण' का अर्थ है ' किसी वस्तु के टुकडे - टुकडे करके उसका ठीक स्वरूप दिखाना। ' यह शब्द भाषा के सम्बन्ध मे ही अधिक प्रयोग में आता है । यदि देखा जाय तो प्रत्येक भाषा वाक्यो का समूह है । वाक्य कोई बडे होते हैं, कोई छोटे। बडे वाक्य बहुधा छोटे वाक्यो के सुसम्बद्ध समूह होते हैं। वस्तुत वाक्य भाषा का आधार है । वाक्य शब्दो का समूह होता है । प्रत्येक शब्द में कई वर्ण होते हैं , जिनको अक्षर भी कहते हैं। अक्षर शब्द का अर्थ है ' अविनाशी ' - जिसका कभी नाश न हो। वर्ण को यह नाम इसलिए दिया जाता है, क्योकि प्रत्येक ( वर्ण का ) नाद अविनश्वर है। यदि किसी शब्द का उच्चारण करें तो उसके अक्षर उच्चारण - काल मे नाद कहलाएंगे और उस दशा में शब्द नादो का समूह होगा और इस नाद - समूह को शब्द इसीलिए भी कहते हैं क्योकि नाद, शब्द और ध्वनि का प्राय एक ही अर्थ है। अतएव महाभाष्यकार ने कहा है ' तस्माद् ध्वनि शब्द '। सुष्टि मे इन नादो का भण्डार अनन्त है। प्रत्येक भाषा एक परिमित सख्या मे ही नादो का प्रयोग करती है।
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